Monday, September 23, 2013

कहलाता वो : मेरी परिभाषायें

समय - जीवन का, धार-  जल की
वेग- पवन का, शिखर- पर्वत का
छूने को जो करता प्रयास -
महत्वाकांक्षी कहलाता वो। 

अनुभव- परिवर्तन के , सुगंध- पुष्पों की
कलरव- पंछियों के , मार्ग- उत्थान के
करता आत्मसात जो-
कहलाता वीतरागी वो।

गुंजन- भौरों की, यौवन- कलियों के
मिलन- हृदयों के , विछोह- अपनों के
देख उन्मत्त जो-
कहलाता अनुरागी वो।

सवेरा- काली रात के बाद , बसेरा- अंधड़ के बाद
सुख- दुःख की सीमा पर , जीत- हारने के बाद
बांधता मंसूबे जो-
कहलाता आशावादी वो।

ज्ञान है- अभिमान नहीं , शक्ति है- अन्याय नहीं
सुख दुःख है- लिप्त नहीं , क्षमा है- कायर नहीं
झूठ है- अकल्याण नहीं, प्रेम है- प्रदर्शन नहीं
मिले ऐसा नर अगर तो-
नारायण सम कहलाता वो।

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