एक ख़ामोशी हमारे जी को देती है मलाल,
वरना सब बातें पसन्द आईं तेरी तस्वीर की..."
Rakesh Tripathi ख़ामोशी का मलाल क्यूँ, बगल में दुनिया सिमट आयी है।
बोलती आँखें न देखी तूने, जिनमें रूह उतर आयी है।
रूह की जगह कभी जुबाँ से भी काम लिया कर .
Rakesh Tripathi Abhishek Srivastav वर्षों पहले लिखा था आज आपके उत्तर में लिख रहा हूँ :
कंठ रुँधा, स्वाँसे शिथिल , चक्षु भी हैं लाचार ,
भावाभिव्यक्ति बस मौन है रिक्त शब्द भण्डार।
Abhishek Srivastav इतनी बेहतर भावभियक्ति का वर्णन, निरुत्तर हूँ मित्र।
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Rakesh Tripathi नही मित्र आप निरूत्तर क्यों ?अभी तक भाभी के समर्थन मे था , अब आपकी ओर सेे : · September 26 at 8:50pm
तुझे पाकर सिमट आयी है दुनिया मुझमे,
तू जो बोले तो तेरे होने को महसूस करूँ।
चलो माना कि बहुत बोलती हैं आँखें तेरी,
तू जो बोले तो उस मिठास को महसूस करूँ।
तू जो बोले तो उस मिठास को महसूस करूँ।
खो दिया है सुध बुध यूँ तुझे पाकर,
कोई गर होश में लाये तो कुछ महसूस करूँ।
कोई गर होश में लाये तो कुछ महसूस करूँ।
लोग कहते हैं मौन भावना की भाषा है,
चेतना हो तो भावना को मैं महसूस करूँ।
चेतना हो तो भावना को मैं महसूस करूँ।
यूँ तो गुजर गए वर्ष कई संग तेरे,
तू जो बोले फिर तेरी मांग का अभिषेक करूँ।
तू जो बोले फिर तेरी मांग का अभिषेक करूँ।
तुझे पाकर सिमट आयी है दुनिया मुझमे,
तू जो बोले तो तेरे होने को महसूस करूँ ।
तू जो बोले तो तेरे होने को महसूस करूँ ।
नोट : ऊपर दिए गये फोटो पर मेरे मित्र के साथ फेसबुक वार्तालाप के क्रम में ये लिखा गया। इसमें दोनों का (पति-पत्नी ) नाम भी है.