Wednesday, January 2, 2019

जीवन गुज़र रहा है

लम्हा लम्हा गुज़र रहा है,
तिनका तिनका बिखर रहा है,
दामन में धूप छाँव सम्हाले,
देखो जीवन गुज़र रहा है।

हाथ पकड़कर पास बिठा लें,
कदम बढा़ कर चाल मिला लें,
मिलन विछोह की लीला जीवन,
मुट्ठी से रेत सा फिसल रहा है|

सुख की अभिलाषा है जीवन,
दु:ख दूसरा है पहलू इसका,
सुख दुःख की चक्की में पिसना,
मानव का मन निरख रहा है।

बचपन बीता, आयी जवानी,
बचपने से निकल की नादानी,
अनुभव के कुछ बरस समेटे,
जीवन जवान सा निखर रहा है।

धुंधली दृष्टि, केश मिश्रित से,
आशंका विश्वास से भरे,
जिम्मेदारी ले कंधों पर
प्रौढ सा जीवन गुज़र रहा है।

दामन में धूप छाँव सम्हाले
देखो जीवन गुज़र रहा है। 

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