Monday, December 31, 2018

हम हर नव वर्ष मनायेंगे

बहस हो रही जोरों से कि,
ये अपना नव वर्ष नहीं,
संदेशे आते जाते हैं,
हम इसको नहीं मनायेंगे,
मेरा अपना कुछ मत है भिन्न
हम आज इसे बतलायेंगे।

हम हर पल घंटे दिवस मनायें तो,
जो भी अच्छा हो अपनायें तो,
हो कदमताल अधुना के संग,
यदि ऐसा नव वर्ष मनायें तो।

वसुधैव कुटुम्बकम का नारा,
जिस भारत वर्ष का गान रहा,
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि,
जब सृष्टि का आरंभ हुआ,
नव वर्ष मनाती प्रकृति धरा,
हम भी इसके अनुयायी हैं,
नवरात्रों में कर अनुष्ठान,
जप तप व्रत कर इसे मनाते हैं।

पंचांग है परिष्कृत अपना,
गणना कर शुभ मुहूर्तों की,
सारे संस्कार मनाते हैं,
सूर्य चन्द्र ग्रहण की तिथियां,
उपग्रह भेज अंतरिक्ष में,
नासा वाले जो बताते हैं,
गणना कर पंचांग से पंडित जी
घर बैठे सटीक बताते हैं।

अपनी मान्यताओं के अनुसार,
दुनिया के कोने कोने में,
सब उत्सव त्योहार मनाते हैं।

ग्रेगोरियन कैलेण्डर किशोरों सा,
अब विश्व पटल पर छाया है,
दुनिया के ग्लोबल होने से,
सबने इसको अपनाया है,
जनवरी प्रथम माह इसका,
नव वर्ष इसे भी मनायें तो
जो अच्छा हो अपनायें तो ।

पर संस्कृति अक्षुण्य रहे अपनी,
उसको न भूलने देंगे हम,
प्रेषित कर संतति को अपनी,
अपना कर्तव्य निभायेंगे,
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ,
हम नववर्ष मनायेंगे ।

आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
आप स्वस्थ हों, समृद्ध हों, सानंद हों,
दिग्दिगन्त में आप का यश फैले।
🙏🏻 राकेश कुमार त्रिपाठी🙏🏻

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