बात उन दिनों की है जब मैं धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) में जॉब कर रहा था। वहां पर मेरे एक अभिन्न मित्र की हालत देखकर मुझसे रहा नहीं गया, और मैंने प्रश्न पूछने वाले अंदाज़ में एक कविता लिखी। इस कविता के जवाब में उस मित्र ने अंग्रेजी में तीन पंक्तियां लिखी और मुझे सुनाई। कविता और उसका उत्तर दोनों आपके लिए प्रस्तुत हैं :
नींद नहीं आती कैसे कटती हैं रातें,
मैंने सुना है दिन भर खोये से रहते हो
कभी-कभी यूँ लगा की सोये से रहते हो,
अंजानी मुस्कान थिरकती मुख पर तेरे ,
रहते हो बेचैन रोज तुम साँझ सवेरे।
और मैंने कहा -
A little more and I would add a twinkle in her eye,
A little more and I would add a glow to her smile,
A little more and I would get her happiness for life.
19th Sep . 2003
The above lines in original writing of my friend:
***
Marvellous Rakesh Ji!
ReplyDeleteClinical Psychologist-cum-Poet.... What a combination....
Who is that identical friend.... May I Know
Thanks
SuRyA
Thank.You..........
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